إِنَّ الَّذِينَ لَا يَرْجُونَ لِقَاءَنَا وَرَضُوا بِالْحَيَاةِ الدُّنْيَا وَاطْمَأَنُّوا بِهَا وَالَّذِينَ هُمْ عَنْ آيَاتِنَا غَافِلُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
रहे वे लोग जो हमसे मिलने की आशा नहीं रखते और सांसारिक जीवन ही पर निहाल हो गए है और उसी पर संतुष्ट हो बैठे, और जो हमारी निशानियों की ओर से असावधान है;
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
इसमें भी शक़ नहीं कि जिन लोगों को (क़यामत में) हमारी (बारगाह की) हुज़ूरी का ठिकाना नहीं और दुनिया की (चन्द रोज़) ज़िन्दगी से निहाल हो गए और उसी पर चैन से बैठे हैं और जो लोग हमारी आयतों से ग़ाफिल हैं
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