فَالْيَوْمَ نُنَجِّيكَ بِبَدَنِكَ لِتَكُونَ لِمَنْ خَلْفَكَ آيَةً ۚ وَإِنَّ كَثِيرًا مِنَ النَّاسِ عَنْ آيَاتِنَا لَغَافِلُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
"अतः आज हम तेरे शरीर को बचा लेगें, ताकि तू अपने बादवालों के लिए एक निशानी हो जाए। निश्चय ही, बहुत-से लोग हमारी निशानियों के प्रति असावधान ही रहते है।"
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
तो हम आज तेरी रुह को तो नहीं (मगर) तेरे बदन को (तह नशीन होने से) बचाएँगें ताकि तू अपने बाद वालों के लिए इबरत का (बाइस) हो और इसमें तो शक़ नहीं कि तेरे लोग हमारी निशानियों से यक़ीनन बेख़बर हैं