كَأَنْ لَمْ يَغْنَوْا فِيهَا ۗ أَلَا بُعْدًا لِمَدْيَنَ كَمَا بَعِدَتْ ثَمُودُ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
मानो वे वहाँ कभी बसे ही न थे। "सुन लो! फिटकार है मदयनवालों पर, जैसे समूद पर फिटकार हुई!"
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
(और वह ऐसे मर मिटे) कि गोया उन बस्तियों में कभी बसे ही न थे सुन रखो कि जिस तरह समूद (ख़ुदा की बारगाह से) धुत्कारे गए उसी तरह अहले मदियन की भी धुत्कारी हुई
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