وَمَا أَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ إِلَّا رِجَالًا نُوحِي إِلَيْهِمْ مِنْ أَهْلِ الْقُرَىٰ ۗ أَفَلَمْ يَسِيرُوا فِي الْأَرْضِ فَيَنْظُرُوا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِينَ مِنْ قَبْلِهِمْ ۗ وَلَدَارُ الْآخِرَةِ خَيْرٌ لِلَّذِينَ اتَّقَوْا ۗ أَفَلَا تَعْقِلُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
तुमसे पहले भी हमने जिनको रसूल बनाकर भेजा, वे सब बस्तियों के रहनेवाले पुरुष ही थे। हम उनकी ओर प्रकाशना करते रहे - फिर क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते कि उनका कैसा परिणाम हुआ, जो उनसे पहले गुज़रे है? निश्चय ही आख़िरत का घर ही डर रखनेवालों के लिए सर्वोत्तम है। तो क्या तुम समझते नहीं? -
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और (ऐ रसूल) तुमसे पहले भी हम गाँव ही के रहने वाले कुछ मर्दों को (पैग़म्बर बनाकर) भेजा किए है कि हम उन पर वही नाज़िल करते थे तो क्या ये लोग रुए ज़मीन पर चले फिरे नहीं कि ग़ौर करते कि जो लोग उनसे पहले हो गुज़रे हैं उनका अन्जाम क्या हुआ और जिन लोगों ने परहेज़गारी एख्तेयार की उनके लिए आख़िरत का घर (दुनिया से) यक़ीनन कहीं ज्यादा बेहतर है क्या ये लोग नहीं समझते
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