فَلَمَّا اسْتَيْأَسُوا مِنْهُ خَلَصُوا نَجِيًّا ۖ قَالَ كَبِيرُهُمْ أَلَمْ تَعْلَمُوا أَنَّ أَبَاكُمْ قَدْ أَخَذَ عَلَيْكُمْ مَوْثِقًا مِنَ اللَّهِ وَمِنْ قَبْلُ مَا فَرَّطْتُمْ فِي يُوسُفَ ۖ فَلَنْ أَبْرَحَ الْأَرْضَ حَتَّىٰ يَأْذَنَ لِي أَبِي أَوْ يَحْكُمَ اللَّهُ لِي ۖ وَهُوَ خَيْرُ الْحَاكِمِينَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
तो जब से वे उससे निराश हो गए तो परामर्श करने के लिए अलग जा बैठे। उनमें जो बड़ा था, वह कहने लगा, "क्या तुम जानते नहीं कि तुम्हारा बाप अल्लाह के नाम पर तुमसे वचन ले चुका है और उसको जो इससे पहले यूसुफ़ के मामले में तुमसे क़सूर हो चुका है? मैं तो इस भू-भाग से कदापि टलने का नहीं जब तक कि मेरे बाप मुझे अनुमति न दें या अल्लाह ही मेरे हक़ में कोई फ़ैसला कर दे। और वही सबसे अच्छा फ़ैसला करनेवाला है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
फिर जब यूसुफ की तरफ से मायूस हुए तो बाहम मशवरा करने के लिए अलग खड़े हुए तो जो शख़्श उन सब में बड़ा था (यहूदा) कहने लगा (भाइयों) क्या तुम को मालूम नहीं कि तुम्हार वालिद ने तुम लोगों से ख़ुदा का एहद करा लिया था और उससे तुम लोग यूसुफ के बारे में क्या कुछ ग़लती कर ही चुके हो तो (भाई) जब तक मेरे वालिद मुझे इजाज़त (न) दें या खुद ख़ुदा मुझे कोई हुक्म (न) दे मै उस सर ज़मीन से हरगिज़ न हटूंगा और ख़ुदा तो सब हुक्म देने वालो से कहीं बेहतर है
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