لَا يُؤْمِنُونَ بِهِ ۖ وَقَدْ خَلَتْ سُنَّةُ الْأَوَّلِينَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
वे इसे मानेंगे नहीं। पहले के लोगों की मिसालें गुज़र चुकी हैं
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
ये कुफ्फ़ार इस (क़ुरान) पर ईमान न लाएँगें और (ये कुछ अनोखी बात नहीं) अगलों के तरीक़े भी (ऐसे ही) रहें है