أَمْوَاتٌ غَيْرُ أَحْيَاءٍ ۖ وَمَا يَشْعُرُونَ أَيَّانَ يُبْعَثُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
मृत है, जिनमें प्राण नहीं। उन्हें मालूम नहीं कि वे कब उठाए जाएँगे
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
(बल्कि) वह ख़ुद दूसरों के बनाए हुए मुर्दे बेजान हैं और इतनी भी ख़बर नहीं कि कब (क़यामत) होगी और कब मुर्दे उठाए जाएगें