وَاللَّهُ فَضَّلَ بَعْضَكُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ فِي الرِّزْقِ ۚ فَمَا الَّذِينَ فُضِّلُوا بِرَادِّي رِزْقِهِمْ عَلَىٰ مَا مَلَكَتْ أَيْمَانُهُمْ فَهُمْ فِيهِ سَوَاءٌ ۚ أَفَبِنِعْمَةِ اللَّهِ يَجْحَدُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
और अल्लाह ने तुममें से किसी को किसी पर रोज़ी में बड़ाई दी है। किन्तु जिनको बड़ाई दी गई है वे ऐसे नहीं है कि अपनी रोज़ी उनकी ओर फेर दिया करते हों, जो उनके क़ब्ज़े में है कि वे सब इसमें बराबर हो जाएँ। फिर क्या अल्लाह के अनुग्रह का उन्हें इनकार है?
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और ख़ुदा ही ने तुममें से बाज़ को बाज़ पर रिज़क (दौलत में) तरजीह दी है फिर जिन लोगों को रोज़ी ज्यादा दी गई है वह लोग अपनी रोज़ी में से उन लोगों को जिन पर उनका दस्तरस (इख्तेयार) है (लौन्डी ग़ुलाम वग़ैरह) देने वाला नहीं (हालॉकि इस माल में तो सब के सब मालिक गुलाम वग़ैरह) बराबर हैं तो क्या ये लोग ख़ुदा की नेअमत के मुन्किर हैं
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