وَإِذْ قُلْنَا لَكَ إِنَّ رَبَّكَ أَحَاطَ بِالنَّاسِ ۚ وَمَا جَعَلْنَا الرُّؤْيَا الَّتِي أَرَيْنَاكَ إِلَّا فِتْنَةً لِلنَّاسِ وَالشَّجَرَةَ الْمَلْعُونَةَ فِي الْقُرْآنِ ۚ وَنُخَوِّفُهُمْ فَمَا يَزِيدُهُمْ إِلَّا طُغْيَانًا كَبِيرًا
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
जब हमने तुमसे कहा, "तुम्हारे रब ने लोगों को अपने घेरे में ले रखा है और जो अलौकिक दर्शन हमने तुम्हें कराया उसे तो हमने लोगों के लिए केवल एक आज़माइश बना दिया और उस वृक्ष को भी जिसे क़ुरआन में तिरस्कृत ठहराया गया है। हम उन्हें डराते है, किन्तु यह चीज़ उनकी बढ़ी हुई सरकशी ही को बढ़ा रही है।"
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और (ऐ रसूल) वह वक्त याद करो जब तुमसे हमने कह दिया था कि तुम्हारे परवरदिगार ने लोगों को (हर तरफ से) रोक रखा है कि (तुम्हारा कुछ बिगाड़ नहीं सकते और हमने जो ख्वाब तुमाको दिखलाया था तो बस उसे लोगों (के ईमान) की आज़माइश का ज़रिया ठहराया था और (इसी तरह) वह दरख्त जिस पर क़ुरान में लानत की गई है और हम बावजूद कि उन लोगों को (तरह तरह) से डराते हैं मगर हमारा डराना उनकी सख्त सरकशी को बढ़ाता ही गया
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