إِنَّ عِبَادِي لَيْسَ لَكَ عَلَيْهِمْ سُلْطَانٌ ۚ وَكَفَىٰ بِرَبِّكَ وَكِيلًا
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
"निश्चय ही जो मेरे (सच्चे) बन्दे है उनपर तेरा कुछ भी ज़ोर नहीं चल सकता।" तुम्हारा रब इसके लिए काफ़ी है कि अपना मामला उसी को सौंप दिया जाए
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
बेशक जो मेरे (ख़ास) बन्दें हैं उन पर तेरा ज़ोर नहीं चल (सकता) और कारसाज़ी में तेरा परवरदिगार काफी है
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