الَّذِينَ كَانَتْ أَعْيُنُهُمْ فِي غِطَاءٍ عَنْ ذِكْرِي وَكَانُوا لَا يَسْتَطِيعُونَ سَمْعًا
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
जिनके नेत्र मेरी अनुस्मृति की ओर से परदे में थे और जो कुछ सुन भी नहीं सकते थे
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और उसी (रसूल की दुश्मनी की सच्ची बात) कुछ भी सुन ही न सकते थे