فَمَا اسْطَاعُوا أَنْ يَظْهَرُوهُ وَمَا اسْتَطَاعُوا لَهُ نَقْبًا
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
तो न तो वे (याजूज, माजूज) उसपर चढ़कर आ सकते थे और न वे उसमें सेंध ही लगा सकते थे
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
तो कहा कि अब हमको ताँबा दो कि इसको पिघलाकर इस दीवार पर उँडेल दें (ग़रज़) वह ऐसी ऊँची मज़बूत दीवार बनी कि न तो याजूज व माजूज उस पर चढ़ ही सकते थे और न उसमें नक़ब लगा सकते थे