وَكَمْ أَهْلَكْنَا قَبْلَهُمْ مِنْ قَرْنٍ هَلْ تُحِسُّ مِنْهُمْ مِنْ أَحَدٍ أَوْ تَسْمَعُ لَهُمْ رِكْزًا
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
उनसे पहले कितनी ही नसलों को हम विनष्ट कर चुके है। क्या उनमें किसी की आहट तुम पाते हो या उनकी कोई भनक सुनते हो?
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और हमने उनसे पहले कितनी जमाअतों को हलाक कर डाला भला तुम उनमें से किसी को (कहीं देखते हो) उसकी कुछ भनक भी सुनते हो