إِنَّ فِي خَلْقِ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَاخْتِلَافِ اللَّيْلِ وَالنَّهَارِ وَالْفُلْكِ الَّتِي تَجْرِي فِي الْبَحْرِ بِمَا يَنْفَعُ النَّاسَ وَمَا أَنْزَلَ اللَّهُ مِنَ السَّمَاءِ مِنْ مَاءٍ فَأَحْيَا بِهِ الْأَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا وَبَثَّ فِيهَا مِنْ كُلِّ دَابَّةٍ وَتَصْرِيفِ الرِّيَاحِ وَالسَّحَابِ الْمُسَخَّرِ بَيْنَ السَّمَاءِ وَالْأَرْضِ لَآيَاتٍ لِقَوْمٍ يَعْقِلُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
निस्संदेह आकाशों और धरती की संरचना में, और रात और दिन की अदला-बदली में, और उन नौकाओं में जो लोगों की लाभप्रद चीज़े लेकर समुद्र (और नदी) में चलती है, और उस पानी में जिसे अल्लाह ने आकाश से उतारा, फिर जिसके द्वारा धरती को उसके निर्जीव हो जाने के पश्चात जीवित किया और उसमें हर एक (प्रकार के) जीवधारी को फैलाया और हवाओं को गर्दिश देने में और उन बादलों में जो आकाश और धरती के बीच (काम पर) नियुक्त होते है, उन लोगों के लिए कितनी ही निशानियाँ है जो बुद्धि से काम लें
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
बेशक आसमान व ज़मीन की पैदाइश और रात दिन के रद्दो बदल में और क़श्तियों जहाज़ों में जो लोगों के नफे क़ी चीज़े (माले तिजारत वगैरह दरिया) में ले कर चलते हैं और पानी में जो ख़ुदा ने आसमान से बरसाया फिर उस से ज़मीन को मुर्दा (बेकार) होने के बाद जिला दिया (शादाब कर दिया) और उस में हर क़िस्म के जानवर फैला दिये और हवाओं के चलाने में और अब्र में जो आसमान व ज़मीन के दरमियान ख़ुदा के हुक्म से घिरा रहता है (इन सब बातों में) अक्ल वालों के लिए बड़ी बड़ी निशानियाँ हैं
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