لَيْسَ عَلَيْكُمْ جُنَاحٌ أَنْ تَبْتَغُوا فَضْلًا مِنْ رَبِّكُمْ ۚ فَإِذَا أَفَضْتُمْ مِنْ عَرَفَاتٍ فَاذْكُرُوا اللَّهَ عِنْدَ الْمَشْعَرِ الْحَرَامِ ۖ وَاذْكُرُوهُ كَمَا هَدَاكُمْ وَإِنْ كُنْتُمْ مِنْ قَبْلِهِ لَمِنَ الضَّالِّينَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
इसमे तुम्हारे लिए कोई गुनाह नहीं कि अपने रब का अनुग्रह तलब करो। फिर जब तुम अरफ़ात से चलो तो 'मशअरे हराम' (मुज़दल्फ़ा) के निकट ठहरकर अल्लाह को याद करो, और उसे याद करो जैसाकि उसने तुम्हें बताया है, और इससे पहले तुम पथभ्रष्ट थे
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
इस में कोई इल्ज़ाम नहीं है कि (हज के साथ) तुम अपने परवरदिगार के फज़ल (नफ़ा तिजारत) की ख्वाहिश करो और फिर जब तुम अरफात से चल खड़े हो तो मशअरुल हराम के पास ख़ुदा का जिक्र करो और उस की याद भी करो तो जिस तरह तुम्हे बताया है अगरचे तुम इसके पहले तो गुमराहो से थे
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