وَعَلَّمْنَاهُ صَنْعَةَ لَبُوسٍ لَكُمْ لِتُحْصِنَكُمْ مِنْ بَأْسِكُمْ ۖ فَهَلْ أَنْتُمْ شَاكِرُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
और हमने उसे तुम्हारे लिए एक परिधान (बनाने) की शिल्प-कला भी सिखाई थी, ताकि युद्ध में वह तुम्हारी रक्षा करे। फिर क्या तुम आभार मानते हो?
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और हम ही ने उनको तुम्हारी जंगी पोशिश (ज़िराह) का बनाना सिखा दिया ताकि तुम्हें (एक दूसरे के) वार से बचाए तो क्या तुम (अब भी) उसके शुक्रगुज़ार बनोगे
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