مَنْ كَانَ يَظُنُّ أَنْ لَنْ يَنْصُرَهُ اللَّهُ فِي الدُّنْيَا وَالْآخِرَةِ فَلْيَمْدُدْ بِسَبَبٍ إِلَى السَّمَاءِ ثُمَّ لْيَقْطَعْ فَلْيَنْظُرْ هَلْ يُذْهِبَنَّ كَيْدُهُ مَا يَغِيظُ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
जो कोई यह समझता है कि अल्लाह दुनिया औऱ आख़िरत में उसकी (रसूल की) कदापि कोई सहायता न करेगा तो उसे चाहिए कि वह आकाश की ओर एक रस्सी ताने, फिर (अल्लाह की सहायता के सिलसिले को) काट दे। फिर देख ले कि क्या उसका उपाय उस चीज़ को दूर कर सकता है जो उसे क्रोध में डाले हुए है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
जो शख्स (गुस्से में) ये बदगुमानी करता है कि दुनिया और आख़ेरत में खुदा उसकी हरग़िज मदद न करेगा तो उसे चाहिए कि आसमान तक रस्सी ताने (और अपने गले में फाँसी डाल दे) फिर उसे काट दे (ताकि घुट कर मर जाए) फिर देखिए कि जो चीज़ उसे गुस्से में ला रही थी उसे उसकी तद्बीर दूर दफ़ा कर देती है