لِيَشْهَدُوا مَنَافِعَ لَهُمْ وَيَذْكُرُوا اسْمَ اللَّهِ فِي أَيَّامٍ مَعْلُومَاتٍ عَلَىٰ مَا رَزَقَهُمْ مِنْ بَهِيمَةِ الْأَنْعَامِ ۖ فَكُلُوا مِنْهَا وَأَطْعِمُوا الْبَائِسَ الْفَقِيرَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
ताकि वे उन लाभों को देखें जो वहाँ उनके लिए रखे गए है। और कुछ ज्ञात और निश्चित दिनों में उन चौपाए अर्थात मवेशियों पर अल्लाह का नाम लें, जो उसने उन्हें दिए है। फिर उसमें से स्वयं भी खाओ और तंगहाल मुहताज को भी खिलाओ।"
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
ताकि अपने (दुनिया व आखेरत के) फायदो पर फायज़ हों और खुदा ने जो जानवर चारपाए उन्हें अता फ़रमाए उनपर (ज़िबाह के वक्त) चन्द मुअय्युन दिनों में खुदा का नाम लें तो तुम लोग कुरबानी के गोश्त खुद भी खाओ और भूखे मोहताज को भी खिलाओ
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