حُنَفَاءَ لِلَّهِ غَيْرَ مُشْرِكِينَ بِهِ ۚ وَمَنْ يُشْرِكْ بِاللَّهِ فَكَأَنَّمَا خَرَّ مِنَ السَّمَاءِ فَتَخْطَفُهُ الطَّيْرُ أَوْ تَهْوِي بِهِ الرِّيحُ فِي مَكَانٍ سَحِيقٍ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
इस तरह कि अल्लाह ही की ओर के होकर रहो। उसके साथ किसी को साझी न ठहराओ, क्योंकि जो कोई अल्लाह के साथ साझी ठहराता है तो मानो वह आकाश से गिर पड़ा। फिर चाहे उसे पक्षी उचक ले जाएँ या वायु उसे किसी दूरवर्ती स्थान पर फेंक दे
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
निरे खरे अल्लाह के होकर (रहो) उसका किसी को शरीक न बनाओ और जिस शख्स ने (किसी को) खुदा का शरीक बनाया तो गोया कि वह आसमान से गिर पड़ा फिर उसको (या तो दरमियान ही से) कोई (मुरदा ख्ववार) चिड़िया उचक ले गई या उसे हवा के झोंके ने बहुत दूर जा फेंका