وَإِذَا تُتْلَىٰ عَلَيْهِمْ آيَاتُنَا بَيِّنَاتٍ تَعْرِفُ فِي وُجُوهِ الَّذِينَ كَفَرُوا الْمُنْكَرَ ۖ يَكَادُونَ يَسْطُونَ بِالَّذِينَ يَتْلُونَ عَلَيْهِمْ آيَاتِنَا ۗ قُلْ أَفَأُنَبِّئُكُمْ بِشَرٍّ مِنْ ذَٰلِكُمُ ۗ النَّارُ وَعَدَهَا اللَّهُ الَّذِينَ كَفَرُوا ۖ وَبِئْسَ الْمَصِيرُ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
और जब उन्हें हमारी स्पष्ट आयतें सुनाई जाती है, तो इनकार करनेवालों के चेहरों पर तुम्हें नागवारी प्रतीत होती है। लगता है कि अभी वे उन लोगों पर टूट पड़ेगे जो उन्हें हमारी आयतें सुनाते है। कह दो, "क्या मैं तुम्हे इससे बुरी चीज़ की ख़बर दूँ? आग है वह - अल्लाह ने इनकार करनेवालों से उसी का वादा कर रखा है - और वह बहुत ही बुरा ठिकाना है।"
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और (ऐ रसूल) जब हमारी वाज़ेए व रौशन आयतें उनके सामने पढ़ कर सुनाई जाती हैं तो तुम (उन) काफिरों के चेहरों पर नाखुशी के (आसार) देखते हो (यहाँ तक कि) क़रीब होता है कि जो लोग उनको हमारी आयातें पढ़कर सुनाते हैं उन पर ये लोग हमला कर बैठे (ऐ रसूल) तुम कह दो (कि) तो क्या मैं तुम्हें इससे भी कहीं बदतर चीज़ बता दूँ (अच्छा) तो सुन लो वह जहन्नुम है जिसमें झोंकने का वायदा खुदा ने काफ़िरों से किया है