مَا تَسْبِقُ مِنْ أُمَّةٍ أَجَلَهَا وَمَا يَسْتَأْخِرُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
कोई समुदाय न तो अपने निर्धारित समय से आगे बढ़ सकता है और न पीछे रह सकता है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
कोई उम्मत अपने वक्त मुर्करर से न आगे बढ़ सकती है न (उससे) पीछे हट सकती है
: