فَقَالُوا أَنُؤْمِنُ لِبَشَرَيْنِ مِثْلِنَا وَقَوْمُهُمَا لَنَا عَابِدُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
तो व कहने लगे, "क्या हम अपने ही जैसे दो मनुष्यों की बात मान लें, जबकि उनकी क़ौम हमारी ग़ुलाम भी है?"
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
आपस मे कहने लगे क्या हम अपने ही ऐसे दो आदमियों पर ईमान ले आएँ हालाँकि इन दोनों की (क़ौम की) क़ौम हमारी ख़िदमत गारी करती है
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