وَلَوْلَا إِذْ سَمِعْتُمُوهُ قُلْتُمْ مَا يَكُونُ لَنَا أَنْ نَتَكَلَّمَ بِهَٰذَا سُبْحَانَكَ هَٰذَا بُهْتَانٌ عَظِيمٌ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
और ऐसा क्यों न हुआ कि जब तुमने उसे सुना था तो कह देते, "हमारे लिए उचित नहीं कि हम ऐसी बात ज़बान पर लाएँ। महान और उच्च है तू (अल्लाह)! यह तो एक बड़ी तोहमत है?"
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और जब तुमने ऐसी बात सुनी थी तो तुमने लोगों से क्यों न कह दिया कि हमको ऐसी बात मुँह से निकालनी मुनासिब नहीं सुबहान अल्लाह ये बड़ा भारी बोहतान है
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