أَوَلَمْ يَرَوْا أَنَّا جَعَلْنَا حَرَمًا آمِنًا وَيُتَخَطَّفُ النَّاسُ مِنْ حَوْلِهِمْ ۚ أَفَبِالْبَاطِلِ يُؤْمِنُونَ وَبِنِعْمَةِ اللَّهِ يَكْفُرُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
क्या उन्होंने देखा नही कि हमने एक शान्तिमय हरम बनाया, हालाँकि उनके आसपास से लोग उचक लिए जाते है, तो क्या फिर भी वे असत्य पर ईमान रखते है और अल्लाह की अनुकम्पा के प्रति कृतघ्नता दिखलाते है?
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
क्या उन लोगों ने इस पर ग़ौर नहीं किया कि हमने हरम (मक्का) को अमन व इत्मेनान की जगह बनाया हालॉकि उनके गिर्द व नवाह से लोग उचक ले जाते हैं तो क्या ये लोग झूठे माबूदों पर ईमान लाते हैं और ख़ुदा की नेअमत की नाशुक्री करते हैं
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