وَقَالَتْ طَائِفَةٌ مِنْ أَهْلِ الْكِتَابِ آمِنُوا بِالَّذِي أُنْزِلَ عَلَى الَّذِينَ آمَنُوا وَجْهَ النَّهَارِ وَاكْفُرُوا آخِرَهُ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
किताबवालों में से एक गिरोह कहता है, "ईमानवालो पर जो कुछ उतरा है, उस पर प्रातःकाल ईमान लाओ और संध्या समय उसका इनकार कर दो, ताकि वे फिर जाएँ
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और अहले किताब से एक गिरोह ने (अपने लोगों से) कहा कि मुसलमानों पर जो किताब नाज़िल हुईहै उसपर सुबह सवेरे ईमान लाओ और आख़िर वक्त ऌन्कार कर दिया करो शायद मुसलमान (इसी तदबीर से अपने दीन से) फिर जाए