بَلِ اتَّبَعَ الَّذِينَ ظَلَمُوا أَهْوَاءَهُمْ بِغَيْرِ عِلْمٍ ۖ فَمَنْ يَهْدِي مَنْ أَضَلَّ اللَّهُ ۖ وَمَا لَهُمْ مِنْ نَاصِرِينَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
नहीं, बल्कि ये ज़ालिम तो बिना ज्ञान के अपनी इच्छाओं के पीछे चल पड़े। तो अब कौन उसे मार्ग दिखाएगा जिसे अल्लाह ने भटका दिया हो? ऐसे लोगो का तो कोई सहायक नहीं
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
मगर सरकशों ने तो बगैर समझे बूझे अपनी नफसियानी ख्वाहिशों की पैरवी कर ली (और ख़ुदा का शरीक ठहरा दिया) ग़रज़ ख़ुदा जिसे गुमराही में छोड़ दे (फिर) उसे कौन राहे रास्त पर ला सकता है और उनका कोई मददगार (भी) नहीं