قُلْ مَنْ يَرْزُقُكُمْ مِنَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۖ قُلِ اللَّهُ ۖ وَإِنَّا أَوْ إِيَّاكُمْ لَعَلَىٰ هُدًى أَوْ فِي ضَلَالٍ مُبِينٍ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
कहो, "कौन तुम्हें आकाशों और धरती में रोज़ी देता है?" कहो, "अल्लाह!" अब अवश्य ही हम है या तुम ही हो मार्ग पर, या खुली गुमराही में
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
तो मुक़र्रिब फरिश्ते कहते हैं कि जो वाजिबी था (ऐ रसूल) तुम (इनसे) पूछो तो कि भला तुमको सारे आसमान और ज़मीन से कौन रोज़ी देता है (वह क्या कहेंगे) तुम खुद कह दो कि खुदा और मैं या तुम (दोनों में से एक तो) ज़रूर राहे रास्त पर है (और दूसरा गुमराह) या वह सरीही गुमराही में पड़ा है (और दूसरा राहे रास्त पर)
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