وَإِذَا رَأَوْا آيَةً يَسْتَسْخِرُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
और जब कोई निशानी देखते है तो हँसी उड़ाते है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और जब किसी मौजिजे क़ो देखते हैं तो (उससे) मसख़रापन करते हैं
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