وَمَا يَنْظُرُ هَٰؤُلَاءِ إِلَّا صَيْحَةً وَاحِدَةً مَا لَهَا مِنْ فَوَاقٍ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
इन्हें बस एक चीख की प्रतीक्षा है जिसमें तनिक भी अवकाश न होगा
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और ये (काफिर) लोग बस एक चिंघाड़ (सूर के मुन्तज़िर हैं जो फिर उन्हें) चश्में ज़दन की मोहलत न देगी
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