وَالطَّيْرَ مَحْشُورَةً ۖ كُلٌّ لَهُ أَوَّابٌ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
और पक्षियों को भी, जो एकत्र हो जाते थे। प्रत्येक उसके आगे रुजू रहता
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और परिन्दे भी (यादे खुदा के वक्त सिमट) आते और उनके फरमाबरदार थे
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