هَٰذَا عَطَاؤُنَا فَامْنُنْ أَوْ أَمْسِكْ بِغَيْرِ حِسَابٍ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
"यह हमारी बेहिसाब देन है। अब एहसान करो या रोको।"
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
ऐ सुलेमान ये हमारी बेहिसाब अता है पस (उसे लोगों को देकर) एहसान करो या (सब) अपने ही पास रखो
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