مَا سَمِعْنَا بِهَٰذَا فِي الْمِلَّةِ الْآخِرَةِ إِنْ هَٰذَا إِلَّا اخْتِلَاقٌ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
यह बात तो हमने पिछले धर्म में सुनी ही नहीं। यह तो बस मनघड़त है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
हम लोगों ने तो ये बात पिछले दीन में कभी सुनी भी नहीं हो न हो ये उसकी मन गढ़ंत है