وَسِيقَ الَّذِينَ اتَّقَوْا رَبَّهُمْ إِلَى الْجَنَّةِ زُمَرًا ۖ حَتَّىٰ إِذَا جَاءُوهَا وَفُتِحَتْ أَبْوَابُهَا وَقَالَ لَهُمْ خَزَنَتُهَا سَلَامٌ عَلَيْكُمْ طِبْتُمْ فَادْخُلُوهَا خَالِدِينَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
और जो लोग अपने रब का डर रखते थे, वे गिरोह के गिरोह जन्नत की ओर ले जाएँगे, यहाँ तक कि जब वे वहाँ पहुँचेंगे इस हाल में कि उसके द्वार खुले होंगे। और उसके प्रहरी उनसे कहेंगे, "सलाम हो तुमपर! बहुत अच्छे रहे! अतः इसमें प्रवेश करो सदैव रहने के लिए तो (उनकी ख़ुशियों का क्या हाल होगा!)
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और जो लोग अपने परवरदिगार से डरते थे वह गिर्दो गिर्दा (गिरोह गिरोह) बेहिश्त की तरफ़ (एजाज़ व इकराम से) बुलाए जाएगें यहाँ तक कि जब उसके पास पहुँचेगें और बेहिश्त के दरवाज़े खोल दिये जाएँगें और उसके निगेहबान उन से कहेंगें सलाम अलैकुम तुम अच्छे रहे, तुम बेहिश्त में हमेशा के लिए दाख़िल हो जाओ
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