الَّذِينَ يَتَّخِذُونَ الْكَافِرِينَ أَوْلِيَاءَ مِنْ دُونِ الْمُؤْمِنِينَ ۚ أَيَبْتَغُونَ عِنْدَهُمُ الْعِزَّةَ فَإِنَّ الْعِزَّةَ لِلَّهِ جَمِيعًا
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
जो ईमानवालों को छोड़कर इनकार करनेवालों को अपना मित्र बनाते है। क्या उन्हें उनके पास प्रतिष्ठा की तलाश है? प्रतिष्ठा तो सारी की सारी अल्लाह ही के लिए है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
जो लोग मोमिनों को छोड़कर काफ़िरों को अपना सरपरस्त बनाते हैं क्या उनके पास इज्ज़त (व आबरू) की तलाश करते हैं इज्ज़त सारी बस ख़ुदा ही के लिए ख़ास है
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