أَلَمْ تَرَ إِلَى الَّذِينَ أُوتُوا نَصِيبًا مِنَ الْكِتَابِ يُؤْمِنُونَ بِالْجِبْتِ وَالطَّاغُوتِ وَيَقُولُونَ لِلَّذِينَ كَفَرُوا هَٰؤُلَاءِ أَهْدَىٰ مِنَ الَّذِينَ آمَنُوا سَبِيلًا
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा, जिन्हें किताब का एक हिस्सा दिय् गया? वे अवास्तविक चीज़ो और ताग़ूत (बढ़ हुए सरकश) को मानते है। और अधर्मियों के विषय में कहते है, "ये ईमानवालों से बढ़कर मार्ग पर है।"
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
(ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों के (हाल पर) नज़र नहीं की जिन्हें किताबे ख़ुदा का कुछ हिस्सा दिया गया था और (फिर) शैतान और बुतों का कलमा पढ़ने लगे और जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया है उनकी निस्बत कहने लगे कि ये तो ईमान लाने वालों से ज्यादा राहे रास्त पर हैं
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