سَيَقُولُ الْمُخَلَّفُونَ إِذَا انْطَلَقْتُمْ إِلَىٰ مَغَانِمَ لِتَأْخُذُوهَا ذَرُونَا نَتَّبِعْكُمْ ۖ يُرِيدُونَ أَنْ يُبَدِّلُوا كَلَامَ اللَّهِ ۚ قُلْ لَنْ تَتَّبِعُونَا كَذَٰلِكُمْ قَالَ اللَّهُ مِنْ قَبْلُ ۖ فَسَيَقُولُونَ بَلْ تَحْسُدُونَنَا ۚ بَلْ كَانُوا لَا يَفْقَهُونَ إِلَّا قَلِيلًا
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
जब तुम ग़नीमतों को प्राप्त करने के लिए उनकी ओर चलोगे तो पीछे रहनेवाले कहेंगे, "हमें भी अनुमति दी जाए कि हम तुम्हारे साथ चले।" वे चाहते है कि अल्लाह का कथन को बदल दे। कह देना, "तुम हमारे साथ कदापि नहीं चल सकते। अल्लाह ने पहले ही ऐसा कह दिया है।" इसपर वे कहेंगे, "नहीं, बल्कि तुम हमसे ईर्ष्या कर रहे हो।" नहीं, बल्कि वे लोग समझते थोड़े ही है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
(मुसलमानों) अब जो तुम (ख़ैबर की) ग़नीमतों के लेने को जाने लगोगे तो जो लोग (हुदैबिया से) पीछे रह गये थे तुम से कहेंगे कि हमें भी अपने साथ चलने दो ये चाहते हैं कि ख़ुदा के क़ौल को बदल दें तुम (साफ) कह दो कि तुम हरगिज़ हमारे साथ नहीं चलने पाओगे ख़ुदा ने पहले ही से ऐसा फ़रमा दिया है तो ये लोग कहेंगे कि तुम लोग तो हमसे हसद रखते हो (ख़ुदा ऐसा क्या कहेगा) बात ये है कि ये लोग बहुत ही कम समझते हैं
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