ادْخُلُوهَا بِسَلَامٍ ۖ ذَٰلِكَ يَوْمُ الْخُلُودِ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
"प्रवेश करो उस (जन्नत) में सलामती के साथ" वह शाश्वत दिवस है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
(उसको हुक्म होगा कि) इसमें सही सलामत दाख़िल हो जाओ यहीं तो हमेशा रहने का दिन है
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