كُلُوا وَاشْرَبُوا هَنِيئًا بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
"मज़े से खाओ और पियो उन कर्मों के बदले में जो तुम करते रहे हो।"
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
जो जो कारगुज़ारियाँ तुम कर चुके हो उनके सिले में (आराम से) तख्तों पर जो बराबर बिछे हुए हैं
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