فِي رَقٍّ مَنْشُورٍ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
फैले हुए झिल्ली के पन्ने में
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
जो क़ुशादा औराक़ में लिखी हुई है
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