فَفَتَحْنَا أَبْوَابَ السَّمَاءِ بِمَاءٍ مُنْهَمِرٍ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
तब हमने मूसलाधार बरसते हुए पानी से आकाश के द्वार खोल दिए;
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
तो अब तू ही (इनसे) बदला ले तो हमने मूसलाधार पानी से आसमान के दरवाज़े खोल दिए
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