تَجْرِي بِأَعْيُنِنَا جَزَاءً لِمَنْ كَانَ كُفِرَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
जो हमारी निगाहों के सामने चल रही थी - यह बदला था उस व्यक्ति के लिए जिसकी क़द्र नहीं की गई।
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और वह हमारी निगरानी में चल रही थी (ये) उस शख़्श (नूह) का बदला लेने के लिए जिसको लोग न मानते थे