وَمَا لَكُمْ لَا تُؤْمِنُونَ بِاللَّهِ ۙ وَالرَّسُولُ يَدْعُوكُمْ لِتُؤْمِنُوا بِرَبِّكُمْ وَقَدْ أَخَذَ مِيثَاقَكُمْ إِنْ كُنْتُمْ مُؤْمِنِينَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
तुम्हें क्या हो गया है कि तुम अल्लाह पर ईमान नहीं लाते; जबकि रसूल तुम्हें निमंत्रण दे रहा है कि तुम अपने रब पर ईमान लाओ और वह तुमसे दृढ़ वचन भी ले चुका है, यदि तुम मोमिन हो
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और तुम्हें क्या हो गया है कि ख़ुदा पर ईमान नहीं लाते हो हालॉकि रसूल तुम्हें बुला रहें हैं कि अपने परवरदिगार पर ईमान लाओ और अगर तुमको बावर हो तो (यक़ीन करो कि) ख़ुदा तुम से (इसका) इक़रार ले चुका
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