أَأَشْفَقْتُمْ أَنْ تُقَدِّمُوا بَيْنَ يَدَيْ نَجْوَاكُمْ صَدَقَاتٍ ۚ فَإِذْ لَمْ تَفْعَلُوا وَتَابَ اللَّهُ عَلَيْكُمْ فَأَقِيمُوا الصَّلَاةَ وَآتُوا الزَّكَاةَ وَأَطِيعُوا اللَّهَ وَرَسُولَهُ ۚ وَاللَّهُ خَبِيرٌ بِمَا تَعْمَلُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
क्या तुम इससे डर गए कि अपनी गुप्त वार्ता से पहले सदक़े दो? जो जब तुमने यह न किया और अल्लाह ने तुम्हें क्षमा कर दिया. तो नमाज़ क़ायम करो, ज़कात देते रहो और अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करो। और तुम जो कुछ भी करते हो अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
(मुसलमानों) क्या तुम इस बात से डर गए कि (रसूल के) कान में बात कहने से पहले ख़ैरात कर लो तो जब तुम लोग (इतना सा काम) न कर सके और ख़ुदा ने तुम्हें माफ़ कर दिया तो पाबन्दी से नमाज़ पढ़ो और ज़कात देते रहो और ख़ुदा उसके रसूल की इताअत करो और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे बाख़बर है
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