وَكَذَٰلِكَ جَعَلْنَا لِكُلِّ نَبِيٍّ عَدُوًّا شَيَاطِينَ الْإِنْسِ وَالْجِنِّ يُوحِي بَعْضُهُمْ إِلَىٰ بَعْضٍ زُخْرُفَ الْقَوْلِ غُرُورًا ۚ وَلَوْ شَاءَ رَبُّكَ مَا فَعَلُوهُ ۖ فَذَرْهُمْ وَمَا يَفْتَرُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
और इसी प्रकार हमने मनुष्यों और जिन्नों में से शैतानों को प्रत्येक नबी का शत्रु बनाया, जो चिकनी-चुपड़ी बात एक-दूसरे के मन में डालकर धोखा देते थे - यदि तुम्हारा रब चाहता तो वे ऐसा न कर सकते। अब छोड़ो उन्हें और उनके मिथ्यारोपण को। -
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
कि और (ऐ रसूल जिस तरह ये कुफ्फ़ार तुम्हारे दुश्मन हैं) उसी तरह (गोया हमने ख़ुद आज़माइश के लिए शरीर आदमियों और जिनों को हर नबी का दुश्मन बनाया वह लोग एक दूसरे को फरेब देने की ग़रज़ से चिकनी चुपड़ी बातों की सरग़ोशी करते हैं और अगर तुम्हारा परवरदिगार चाहता तो ये लोग) ऐसी हरकत करने न पाते
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