أَفَغَيْرَ اللَّهِ أَبْتَغِي حَكَمًا وَهُوَ الَّذِي أَنْزَلَ إِلَيْكُمُ الْكِتَابَ مُفَصَّلًا ۚ وَالَّذِينَ آتَيْنَاهُمُ الْكِتَابَ يَعْلَمُونَ أَنَّهُ مُنَزَّلٌ مِنْ رَبِّكَ بِالْحَقِّ ۖ فَلَا تَكُونَنَّ مِنَ الْمُمْتَرِينَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
अब क्या मैं अल्लाह के सिवा कोई और निर्णायक ढूढूँ? हालाँकि वही है जिसने तुम्हारी ओर किताब अवतरित की है, जिसमें बातें खोल-खोलकर बता दी गई है और जिन लोगों को हमने किताब प्रदान की थी, वे भी जानते है कि यह तुम्हारे रब की ओर से हक़ के साथ अवतरित हुई है, तो तुम कदापि सन्देह में न पड़ना
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और ताकि जो लोग इफ़तेरा परदाज़ियाँ ये लोग ख़ुद करते हैं वह भी करने लगें (क्या तुम ये चाहते हो कि) मैं ख़ुदा को छोड़ कर किसी और को सालिस तलाश करुँ हालॉकि वह वही ख़ुदा है जिसने तुम्हारे पास वाज़ेए किताब नाज़िल की और जिन लोगों को हमने किताब अता फरमाई है वह यक़ीनी तौर पर जानते हैं कि ये (कुरान भी) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से बरहक़ नाज़िल किया गया है
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