وَكَذَٰلِكَ جَعَلْنَا فِي كُلِّ قَرْيَةٍ أَكَابِرَ مُجْرِمِيهَا لِيَمْكُرُوا فِيهَا ۖ وَمَا يَمْكُرُونَ إِلَّا بِأَنْفُسِهِمْ وَمَا يَشْعُرُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
और इसी प्रकार हमने प्रत्येक बस्ती में उसके बड़े-बड़े अपराधियों को लगा दिया है कि ले वहाँ चालें चले। वे अपने ही विरुद्ध चालें चलते है, किन्तु उन्हें इसका एहसास नहीं
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
(कि भला ही भला नज़र आता है) और जिस तरह मक्के में है उसी तरह हमने हर बस्ती में उनके कुसूरवारों को सरदार बनाया ताकि उनमें मक्कारी किया करें और वह लोग जो कुछ करते हैं अपने ही हक़ में (बुरा) करते हैं और समझते (तक) नहीं