وَلَا تَقْرَبُوا مَالَ الْيَتِيمِ إِلَّا بِالَّتِي هِيَ أَحْسَنُ حَتَّىٰ يَبْلُغَ أَشُدَّهُ ۖ وَأَوْفُوا الْكَيْلَ وَالْمِيزَانَ بِالْقِسْطِ ۖ لَا نُكَلِّفُ نَفْسًا إِلَّا وُسْعَهَا ۖ وَإِذَا قُلْتُمْ فَاعْدِلُوا وَلَوْ كَانَ ذَا قُرْبَىٰ ۖ وَبِعَهْدِ اللَّهِ أَوْفُوا ۚ ذَٰلِكُمْ وَصَّاكُمْ بِهِ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
"और अनाथ के धन को हाथ न लगाओ, किन्तु ऐसे तरीक़े से जो उत्तम हो, यहाँ तक कि वह अपनी युवावस्था को पहुँच जाए। और इनसाफ़ के साथ पूरा-पूरा नापो और तौलो। हम किसी व्यक्ति पर उसी काम की ज़िम्मेदारी का बोझ डालते हैं जो उसकी सामर्थ्य में हो। और जब बात कहो, तो न्याय की कहो, चाहे मामला अपने नातेदार ही का क्यों न हो, और अल्लाह की प्रतिज्ञा को पूरा करो। ये बातें हैं, जिनकी उसने तुम्हें ताकीद की है। आशा है तुम ध्यान रखोगे
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
लेकिन इस तरीके पर कि (उसके हक़ में) बेहतर हो यहाँ तक कि वह अपनी जवानी की हद को पहुंच जाए और इन्साफ के साथ नाप और तौल पूरी किया करो हम किसी शख्स को उसकी ताक़त से बढ़कर तकलीफ नहीं देते और (चाहे कुछ हो मगर) जब बात कहो तो इन्साफ़ से अगरचे वह (जिसके तुम ख़िलाफ न हो) तुम्हारा अज़ीज़ ही (क्यों न) हो और ख़ुदा के एहद व पैग़ाम को पूरा करो यह वह बातें हैं जिनका ख़ुदा ने तुम्हे हुक्म दिया है कि तुम इबरत हासिल करो और ये भी (समझ लो) कि यही मेरा सीधा रास्ता है
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