إِنَّمَا يَنْهَاكُمُ اللَّهُ عَنِ الَّذِينَ قَاتَلُوكُمْ فِي الدِّينِ وَأَخْرَجُوكُمْ مِنْ دِيَارِكُمْ وَظَاهَرُوا عَلَىٰ إِخْرَاجِكُمْ أَنْ تَوَلَّوْهُمْ ۚ وَمَنْ يَتَوَلَّهُمْ فَأُولَٰئِكَ هُمُ الظَّالِمُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
अल्लाह तो तुम्हें केवल उन लोगों से मित्रता करने से रोकता है जिन्होंने धर्म के मामले में तुमसे युद्ध किया और तुम्हें तुम्हारे अपने घरों से निकाला और तुम्हारे निकाले जाने के सम्बन्ध में सहायता की। जो लोग उनसे मित्रता करें वही ज़ालिम है
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
ख़ुदा तो बस उन लोगों के साथ दोस्ती करने से मना करता है जिन्होने तुमसे दीन के बारे में लड़ाई की और तुमको तुम्हारे घरों से निकाल बाहर किया, और तुम्हारे निकालने में (औरों की) मदद की और जो लोग ऐसों से दोस्ती करेंगे वह लोग ज़ालिम हैं