فَأَصْبَحَتْ كَالصَّرِيمِ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
और वह ऐसा हो गया जैसे कटी हुई फ़सल
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
तो वह (सारा बाग़ जलकर) ऐसा हो गया जैसे बहुत काली रात
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