وَمَا هُوَ بِقَوْلِ شَاعِرٍ ۚ قَلِيلًا مَا تُؤْمِنُونَ
फ़ारूक़ ख़ान & अहमद
वह किसी कवि की वाणी नहीं। तुम ईमान थोड़े ही लाते हो
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और ये किसी शायर की तुक बन्दी नहीं तुम लोग तो बहुत कम ईमान लाते हो
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